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मेरी आँखों में पड़ गयी गुलाल, पिया! (होली-गीत) / गुलाब खंडेलवाल

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मेरी आँखों में पड़ गयी गुलाल, पिया!
रेशम की सुन्दर साड़ी मसक गयी, प्रीत बनी जंजाल, पिया!

रूप निगोड़ा कहाँ लेके जाऊँ, लद गयी फूलों से डाल, पिया!
रस के भरे कचनार-सी बाँहें, गोरे गुलाब-से गाल, पिया!

मान भी कैसे करूँ अब तुमसे, आये बिताकर साल, पिया!
इतने दिनों पर याद तो आयी! हो गयी मैं तो निहाल, पिया!

एक ही रंग में भीजे हैं दोनों, एक है दोनों का हाल, पिया!
साँवरे-गोरे का भेद कहाँ अब, तन-मन लाल ही लाल, पिया!

आँखों में अंजन, माथे पे बिँदिया, हाथ अबीर का थाल, पिया!
बचके गुलाब अब जा न सकोगे, लाख चलो हमसे चाल, पिया!

मेरी आँखों में पड़ गयी गुलाल, पिया!
रेशम की सुन्दर साड़ी मसक गयी, प्रीत बनी जंजाल, पिया!