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मेरी आँखों में / रोहित रूसिया

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मेरी आँखों में
नमी है
चमकने दो इन्हें

चलो छाड़ो
न छीनो
भोलापन
ज़रा मासूमियत
ज़रा बचपन
पंछी जो
आज उड़े हैं
चहकने दो इन्हें

वक़्त के
साथ-साथ
चलता है
दिन जो
निकला है
वो तो ढलता है
फूल जो
आज खिले हैं
महकने दो इन्हें

याद के
पाहुने
मचलते हैं
अश्क बन
आँख से
पिघलते हैं
मौन जो
राख में शोले
दहकने दो इन्हें