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मेरी आँखों से मेरे दिल में समाने वाला / नित्यानन्द तुषार
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मेरी आँखों से मेरे दिल में समाने वाला
है कहाँ वो मेरे दिन रात सजाने वाला
जब भी मिलना हो किसी से ज़रा दूरी रखना
जान ले लेता है ,सीने से लगाने वाला
बद दुआओं का असर रंग दिखाता ही है
ख़ुश न रह पाएगा औरों को सताने वाला
देखते जाओ अभी और यहाँ क्या होगा
वक़्त कैसा है ये रिश्तों को जलाने वाला
क्या वतन आग की लपटों में जलेगा यूँ ही
कोई दिखता ही नहीं आग बुझाने वाला
जो भी मिलता है वो कुछ दिन में बिछड़ जाता है
कोई मिलता ही नहीं साथ निभाने वाला
वो जो मिल जाए तो कहना ये 'तुषार' उससे तुम
कितना बिखरा है तेरे ख्व़ाब सजाने वाला