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मेरी कलम रुक गई / दीप्ति गुप्ता
Kavita Kosh से
कल पडौस में किसी नवेली दुल्हन ने
तिमंजिले से कूद कर आत्महत्या कर ली
पीड़ा लिए, वो दुनिया से कूच कर गई
मेरी कलम चलते-चलते रुक गई
मेरे मन में उमडती कविता मर गई
परसों दो घर छोड़ कर एक घर में
नवजात बच्ची के रोने की आवाज़
घुट के, माँ के रोने की आवाज़ बन गई
मेरी कलम चलते-चलते रुक गई
मेरे मन में उमडती कविता मर गई
दो दिन पहले एक होनहार मासूम लड़की
नौकरी पे जाते समय अगुवा कर ली गई
शाम ढले, नदी किनारे बेजान पाई गई
मेरी कलम चलते - चलते रुक गई
मेरे मन में उमडती कविता मर गई