मेरी कविताएँ / अंतर्यात्रा / परंतप मिश्र
मेरी कविताएँ
निष्प्राण शब्दों का समूह नहीं हैं
भावों के शब्द संयोजन
मात्र सम्बोधन नहीं हैं
जीवन के प्रवाह का प्रमाण हैं
अव्यक्त की अभिव्यक्ति के साधन हैं
जहाँ मैं महसूस करता हूँ, तुम्हारी -
खुशबू, खूबसूरत उद्यानों में,
मुस्कान, नवजात कलियों में
गीत, मस्त हवाओं में
संगीत, झरते झरनों में
यौवन, नदियों के प्रवाह में
आमन्त्रण, सागर की लहरों में
मौसमों के परिवर्तन में
भावनाओं के बादल में
स्मृतियों के गाँव में
आती-जाती हुई साँसों में
रक्त के प्रवाह में
तुम्हीं को पाता हूँ
तुम्हारे होठों से निकलती गर्म भाप
ओस के मोती बन पत्तों पर ठहरी है
सूर्य की किरणों के स्पर्श से
इन्द्रधनुष बनाती है,
बहुरंगी विचारों के मेले में
आमंत्रित है,
हर वह व्यक्ति
जो सवेंदनशील अभिव्यक्ति की
अनुभूति कर सके
जीवन को
शब्दों के जगत से