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मेरी कविता की खूबी / हरिवंश प्रभात

Kavita Kosh से
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मेरी कविता की खूबी बुनियादी है।
किसी के दिल तक पहुँच जाने की आदी है।

जीवन दृष्टि इसे बहुत प्यारी लगती,
सबको विकास की बातें भी समझा दी है।

कविता क्या होती है मत पूछा करना,
कविता तो मेरे दिल की आज़ादी है।

हम दुख-सुख की सूखी नदियाँ पर्वत हैं,
उस पर तुमने प्रेम सुधा बरसा दी है।

सस्ती कविता को लोकप्रियता मिलती है,
कहने वाला ऐसा हरेक फ़सादी है।

कविता से लोगों के बीच जो दूरी है,
बे-पेंदी के आलोचक ने लादी है।

उसका घर भी मेरे शहर में लगता है,
उसकी यादों ने मुझको बतला दी है।

जीवन तो घिसता जाता है सीढ़ियों के कारण से,
मैंने जितना पाया उन्हें गँवा दी है।

काव्य में है दोषी आज की संस्कृतियों,
विकृतियाँ मन औ मस्तिष्क पर ला दी हैं।

फूल की ख़ुशबू से भावुक मन रीझ गया,
तेरी पुस्तक डाकिया ने मुझे थमा दी है।