ये मत सोचो
कि कला के होंठों का
स्वाद कड़वा है —
कड़वे खीरे की तरह ...
मेरी कविताओं में
मेरे आँसुओं का स्वाद नहीं है,
उनमें तो मेरा दर्द भरा है —
समुद्री नमक की तरह ।
1929
ये मत सोचो
कि कला के होंठों का
स्वाद कड़वा है —
कड़वे खीरे की तरह ...
मेरी कविताओं में
मेरे आँसुओं का स्वाद नहीं है,
उनमें तो मेरा दर्द भरा है —
समुद्री नमक की तरह ।
1929