Last modified on 9 अगस्त 2009, at 23:18

मेरी ज़िंदगी के मआनी बदल दे / राजेश रेड्डी

मेरी ज़िंदगी के मआनी बदल दे
खु़दा इस समुन्दर का पानी बदल दे

कई बाक़ये यूँ लगे, जैसे कोई
सुनाते-सुनाते कहानी बदल दे

न आया तमाम उम्र आखि़र न आया
वो पल जो मेरी ज़िंदगानी बदल दे

उढ़ा दे मेरी रूह को इक नया तन
ये चादर है मैली- पुरानी, बदल दे

है सदियों से दुनिया में दुख़ की हकूमत
खु़दा! अब तो ये हुक्मरानी बदल दे