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मेरी डोलिया लगी दरवाजे, / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरी डोलिया लगी दरवाजे,
बाबुल<ref>बाबूजी</ref> मैं तो पाहुनी<ref>अतिथि। प्राधुणिक, प्राधुणिका, स्त्री</ref> तेरी रे॥1॥
छोडू़ दादू बीबी अँचला<ref>आँचल</ref> दादा मियाँ ने हारा है बोल<ref>बचनबद्ध हो चुके हैं, जबान हार चुके हैं</ref>।
बाबुल मैं तो पाहुनी तेरी रे॥2॥
छोडू़ अम्माँ बीबी अँचला, अब्बा मियाँ ने हारा है बोल।
बाबुल मैं तो पाहुनी तेरी रे॥3॥
छोडू़ चच्ची बीबी अँचला, चच्चा मियाँ ने हारा है बोल।
बाबुल मैं तो पाहुनी तेरी रे॥4॥
छोडू़ खाला<ref>मौसी</ref> बीबी अँचला, खालू<ref>मौसा</ref> मियाँ ने हारा है बोल।
बाबुल मैं तो पाहुनी तेरी रे॥5॥
शब्दार्थ
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