भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी तनहाई / वार्सन शियर / राजेश चन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरी तनहाई
काफ़ी राहत
महसूस करती है अभी

मैं केवल तभी
साथ लूँगी तुम्हें

अगर तुम
लग सके रुचिकर

मेरे इस वीराने से

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र