मेरी नज़रें वहीं तक
फैलना चाहती हैं
जहाँ तक प्रेम की मौज़ूदगी है
मैं पहली नज़र में
एक मुजरिम को भी
उसकी माँ बनकर देखना चाहता हूँ !
मेरी नज़रें वहीं तक
फैलना चाहती हैं
जहाँ तक प्रेम की मौज़ूदगी है
मैं पहली नज़र में
एक मुजरिम को भी
उसकी माँ बनकर देखना चाहता हूँ !