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मेरी निगाह ने वा कर दिए बवाल कई / मनु 'बे-तख़ल्लुस'

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मेरी निगाह ने वा कर दिए बवाल कई,
हुए हैं जान के दुश्मन ही हम-ख़याल कई
 
नज़र मिलाते ही मुझसे वो लाजवाब हुआ,
कहा था जिसने के, आ पूछ ले सवाल कई
 
उलट पलट दिया सब कुछ नई हवाओं ने,
कई निकाल दिए, हो गए बहाल कई
 
कहीं पे नूर, कहीं ज़ुल्मतें बरसती रहीं,
दिखाए रौशनी ने ऐसे भी कमाल कई
 
है बादे-मर्ग की बस्ती ज़रा अदब से चल,
यहाँ पे सोये हैं, तुझ जैसे बेमिसाल कई