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मेरी बन खंड को कोयल बन खंड छोड़ कहां चली / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरी बन खंड को कोयल बन खंड छोड़ कहां चली
मेरे ताऊ ने बोले हैं बोल बचन की मारी मैं चली
मेरी बन खंड की कोयल बन खंड छोड़ कहां चली
मेरे बाबुल ने बोले हैं बोल बचन की मारी मैं चाली