हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरी मालन रंगीली गून्थ लायी री सेहरा गून्थ लायी री
कहां तो बोया केवड़ा री कहां तो बोया गुलाब री
किनारे किनारे बोया केवड़ा री क्यारी में बोया गुलाब री
किन ये डाल झुकाइयां री और किन ये बीने हैं फूल री
मेरी मालन छबीली...
माली ने डाल झुकाइयां री और मालन ने बीने हैं फूल री
गून्था ए गून्था वारी ला हां धरा ए चंगेरी के बीच री
मेरी मालन छबीली...
सिर धर मालन निसरी री मेरठ के तखत बजार री
लोग महाजन पूछिया अरी कर सेहरे का मेल री
मेरी मालन छबीली....
यौं तो लगे या मे डेढ़ सौ री, और लाल लगे लख चार री
उड़ने तो लगी चिड़कली जी कूकन लागे मोर री
मेरी मालन छबीली...
किन यह सेहरा मंगाइयां री और किस के घर में जाय री
...का बेटा... का पोता ब्याहियां उन घर जाये री
मेरी मालन छबीली...