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मेरी मृत्यु / महेंद्रसिंह जाडेजा

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मेरी मृत्यु,
मेरी मृत्यु तो
स्फटिक जैसी है ।

बरसात को पुकारते
मोर की तरह
मेरी मृत्यु
मेरे जीवन को पुकारेगी ।

उसके तो रंगीन पंख हैं
तितली की तरह ।

मैंने जिये हुए समय के फूल पर
मेरी मृत्यु की तितली आकर बैठेगी ।

मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : क्रान्ति