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मेरी यादें असर कर रही हैं / शैलेश ज़ैदी
Kavita Kosh से
मेरी यादें असर कर रही हैं,
उनकी आखों को तर कर रही हैं .
हादसा दिल पे गुज़रा है कोई,
धड़कनें बाख़बर कर रही हैं.
इन हवाओं को क्या हो गया है,
राज़ क्यों मुश्तहर कर रही हैं.
वो नही हैं तो क्या, उनकी यादें,
साथ मेरे सफर कर रही हैं.
किस लिए दिल के सूने मकां में,
फिर से उम्मीदें घर कर रही हैं.
सुन रहा हूँ मैं जो भी सदाएँ,
प्यार को मोतबर कर रही हैं.