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मेरी यादों में / रोहित रूसिया

मेरी यादों में
भर गया सूरज

रोशनी, रोशनी हुयी
फिर से
चाँदनी, चाँदनी हुयी
फिर से
मन की दहलीज़ पर उजाले का
कोई एक नूर
धर गया सूरज

अब भी चूल्हों में
राख है बाकी
बंद मुट्ठी की
साख है बाक़ी
लिख के पैगाम
ऐसे कितने ही
दिन के पन्नो पे
घर गया सूरज

मेरी यादों में
भर गया सूरज