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मेरी याद आएगी / प्रदीप शर्मा

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ऐ नासमझ, यह ना समझ,
कि मुझको तू भूल पायेगी
मेरी याद आयेगी और तुझको रुलायेगी।
तेरा यह दिल जलायेगी,
तुझे न नींद आयेगी
तुझे पागल बनायेगी
अरे तुझको सतायेगी।
मेरी याद आयेगी और तुझको रुलायेगी।

मेरी तो बात क्या है,
तू नहीं तो और सही
मेरे लिये सारा जहॉं सारी ज़मीं।
ना मैं तुझे याद करूंगा
ना मैं बुलाउंगा,
ना गा–गा के तुझे नग्में मैं सुनाउंगा।
पर पीछे से, तू मेरे ही गीत गायेगी।
मेरी याद आयेगी और तुझको रुलायेगी।

ना तो मंै आहें भरूंगा
ना दिल दुखाउंगा
ना मैं तन्हा रहूँगा ना विरहे गाउँगा
मैं ना कुछ बोलूँगा
पी लूँगा अश्कों को
मुख ना खोलूँगा, सी लूँगा इन लबों को।
यह चुप्पी मेरी, देखना क्या गुल खिलायेगी।
मेरी याद आयेगी और तुझको रुलायेगी

ऐ सनम, तूने सितम किये
हमने माफ़ किया,
कोई गिले शिकवे नहीं,
हमने दिल को साफ किया
मुझसा दिल कहीं तू और नहीं पायेगी
मुझे तू याद करेगी और पछतायेगी
बेरहमी तेरी, तुझ पर ही तो कहर ढायेगी
मेरी याद आयेगी और तुझको रुलायेगी।