हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरी सांझे तील दिखा दई कर दिया मकर कसार
मैं बखते बहैल बिठा दई कर दई लम्बे राह
बादल तैं बादल अड़ रहा नन्ही पड़ैं फुहार
बेहल का परदा भीजै री बुलदां का भीजै सिंगार
पति का साफा भीजै री मेरे भी लगैं बौछार
मेरी भी चूंदड़ी भीजै री पति का हरा रूमाल