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मेरी सुधियों के अंबर पर / ईशान पथिक

मेरी सुधियों के अंबर पर
तुम इन्द्रधनुष सी छा जाओ
मेरे गीतों की हर धुन में तुम
सरगम बन कर बस जाओ

जब गीत लिखा करता हूँ मैं
मन रंगों में खो जाता है
जब याद कभी आती हो तुम
जादू कोई छा जाता है

तुम सर्द हवा की ठिठुरन मेंं
गुनगुनी धूप सी आ जाओ
मेरी सुधियों के अंबर पर
तुम इन्द्रधनुष सी छा जाओ

तुम आओ बैठो बात करो
फिर चांद अकेला ढल जाए
मेरी डूबी इन आँखों में कोई
ख्वाब सुनहरा पल जाए

मेरे ही गीतों में आकर तुम
मुझको ही बहला जाओ
मेरी सुधियों के अंबर पर
तुम इन्द्रधनुष सी छा जाओ

तुम आओ कुछ ऐसे मन का
सूनापन मधुवन हो जाए
तुम पास रहो तो जीवन का
हर मौसम चंदन हो जाए

दुनियां वालों की नज़रों में
बस मेरी तुम कहला जाओ
मेरी सुधियों के अंबर पर
तुम इन्द्रधनुष सी छा जाओ