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मेरी सूरत देख कर क्यूँ तुमने ठंडी साँस ली / नज़र लखनवी
Kavita Kosh से
मेरी सूरत देखकर क्यों तुमने ठंड़ी साँस ली?
बेकसों पर रहम---आईने-सितमगारी नहीं।
हर तरफ़ से यह सदा आती है मुल्के-हुस्न में-
"यह वो दुनिया है जहाँ रस्मे-वफ़ादारी नहीं॥"