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मेरे अपने लम्हें / अंशु हर्ष
Kavita Kosh से
कुछ लम्हें चुराना चाहता है मन
खुद के लिए
बिना कुछ सोचे
बिना कुछ कहे
जहां न आंखों की नमी हो
जब न मुस्कुराहट में कमी हो
जब न दिल उदास हो
जब न कोई आसपास हो
जब न खुद से कोई सवाल हो
जब न कोई नाउम्मीदी हो
जब उमंग उत्साह और ख़्वाब साकार हो
ज़िन्दगी सरल सहज और मेरी अपनी सी राह हो ....