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मेरे आँगन में कभी फूल खिला करते थे / मोहसिन नक़वी

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मेरे आँगन में कभी फूल खिला करते थे
मेरी आँखों में भी कुछ खवाब बसा करते थे

मुझ को हालात की आंधी ने गिराया वरना
मेरे सीने में भी कुछ लोग रहा करते थे

है मुझे याद रफाकात की वो गहराइयाँ अभी भी
दिल की धड़कन भी तेरी साफ़ सुना करते थे

आज महफ़िल में वो अंजान बने बैठे हैं
जो कभी मुझे अपनी जान कहा करते थे

अब तरसती हैं तेरी दीद को आँखें मोहसिन
एक ज़माना था के हम रोज़ मिला करते थे