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मेरे आंगण मां मेरी कड़वा-सा नीम / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरे आंगण मां मेरी कड़वा सा नीम
ते ढलती ते फिरती छाया पड़ौसिन के घर ढल रही
घरड़ कटा दूं री मां मेरी कड़वा सा नीम
ढलती ते फिरती छाया पड़ौसिन के घर ढल रही
मत काटै मत काटै धी मेरी कड़वा सा नीम
ढलती तै फिरती छाया फेर बाह्वड़ै जी