हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरे आगे तेरी उठे कहा है
एक दरख्त मैंने सुणो बिना जल आप ही बढ़ै
न ले हे सहारो किसी को धरण में आप गढ़ै
बता वह कौन लगावै है डेढ़ फल वाके आवै है
फूल तो दरख्त में ग्यारह बता दे मत हिम्मत हारे
तीन जुग में दरख्त हो है
वा दरख्त का नाम बता दे पूछ रहा तोहे
वा दरख्त का नाम बता दे जिसमें डेढ़ पता है