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मेरे उस घर में एक बावड़ी है जिसमें / कालिदास

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वापी चास्मिन्‍मरकतशिलाबद्धसोपानमार्गा
     हैमैश्‍छन्न विकचकमलै: स्निग्‍धवैदूर्यनालै:।
यस्‍यास्‍तोये कृतवसतयो मानसं संनिकृष्‍टं
     नाध्‍यास्‍यन्ति व्‍यपगतशुचस्‍त्‍वामपि प्रेक्ष्‍य हंसा।।

मेरे उस घर में एक बावड़ी हैं, जिसमें
उतरने की सीढ़ियों पर पन्‍ने की सिलें जड़ी
हैं और जिसमें बिल्‍लौर की चिकनी नालोंवाले
खिले हुए सोने के कमल भरे हैं। सब दु:ख
भुलाकर उसके जल में बसे हुए हंस तुम्‍हारे
आ जाने पर भी पास में सुगम मानसरोवर
में जाने की उत्‍कंठा नहीं दिखाते।