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मेरे खानदान का संस्कार / राजकिशोर सिंह
Kavita Kosh से
आयी
एक लड़की
पढ़ने किसी स्कूल
थी वह
दिमाग से तेज
लेकिन
झूठ बोलती थी
बिल्कुल
गाँध्ी जयन्ती
के दिन
सच बोलने की
बात चली
इस पर
सब रहे चुप
पर
लड़की के मन में
मच गयी
ऽलबली
की उसने
यह शिकायत
पापा से घर में
लड़की के पापा ने
देऽा आव न ताव
लिया
डंडा कर में
स्कूल आकर
प्रिंसपल से बोला
उसका बाप
क्या सच का ठेका
लिया आपने
क्या
आप मिटा देंगें
मेरे ऽानदान का संस्कार
सच बोलने से हो जायेगा
मेरा सर्वत्रा अंध्कार
टूट जायेगा
मेरे परिवार पर पहाड़
कान ऽोल कर सुन लें
झूठ है मेरी अमानत
चलती है इसी से
मेरी वकालत।