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मेरे गीतम आरोहों में, स्वर-गंगा ख़ुद ही उतरी है / वीरेंद्र मिश्र

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मेरे गीतम आरोहों में, स्वर-गंगा ख़ुद ही उतरी है,
संगीतमयी मुझसे मिलकर ही गीतमयी हो बिखरी है,
संगीत-भरा है रुदन, और संगीत-भरी मुस्कान यहाँ,
सम्राट गीत का यहाँ बसा, यह तानसेन की नगरी है ।