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मेरे गीतों मेरी ग़ज़लों को रवानी दे दे / चाँद शुक्ला हादियाबादी
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मेरे गीतों मेरी ग़ज़लों को रवानी दे दे
तू मेरी सोच को एहसास का पानी दे दे
मुद्दतों तरसा हूँ मैं तुझसे मुहब्बत के लिए
ख़्वाब में आके मुझे यादें पुरानी दे दे
थक गया गर्दिशे दौराँ से ये जीवन मेरा
मेरे रहबर मुझे मंज़िल की निशानी दे दे
तेरी राहों बिछा रक्खी हैं पलकें मैंने
मेरी आँखों को मसर्रत का तू पानी दे दे
चाँद निकला तो चकोरी ने कहा रो-रो कर
ओ मेरे चाँद कोई अपनी निशानी दे दे