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मेरे जन्म के साथ ही / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

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मेरे जन्म के साथ ही हुआ था
उसका भी जन्म

मेरी ही काया में पुष्ट होते रहे
उसके भी अंग

मैं जीवन भर सँवारता रहा जिन्हे
और खुश होता रहा
कि ये मेरे रक्षक-अस्त्र हैं
दरअसल वे उसी के हथियार थे
अजेय आजमाये हुए