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मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा / सईद राही
Kavita Kosh से
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
दीवारों से टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
हर बात गवारा कर लोगे मन्नत भी उतारा कर लोगे
तावीज़ें भी बँधवाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
तनहाई के झूले झूलोगे हर बात पुरानी भूलोगे
आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
जब सूरज भी खो जायेगा और चाँद कहीं सो जायेगा
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
बेचैनी जब बढ जायेगी और याद किसी की आयेगी
तुम मेरी ग़ज़लें गाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा