मेरे तुम्हारे बीच में अब तो न पर्वत न सागर / शैलेन्द्र
मेरे तुम्हारे बीच में अब तो ना पर्बत ना सागर
निस दिन रहे ख़यालों में तुम अब हो जाओ उजागर
अब आन मिलो सजना
अब आन मिलो सजना सजना
आया मदमाता सावन, फिर रिमझिम की रुत आई
फिर मन में बजी शहनाई, फिर प्रीत ने ली अँगड़ाई
मेरे तुम्हारे बीच में अब तो ना पर्बत ना सागर
निस दिन रहे ख़यालों में तुम अब हो जाओ उजागर
अब आन मिलो सजना
अब आन मिलो सजना सजना
मैं मन को लाख मनाऊँ, माने नहीं मन मतवाला
अब आ के तुम्हीं समझाओ, मैंने अब तक बहुत सम्भाला
मेरे तुम्हारे बीच में अब तो ना पर्बत ना सागर
निस दिन रहे ख़यालों में तुम अब हो जाओ उजागर
अब आन मिलो सजना
अब आन मिलो सजना सजना
सज धज के खड़ी मैं कबसे डोली ले कर आ जाओ
उस पार जहाँ मेरा घर है उस पार मुझे ले जाओ
मेरे तुम्हारे बीच में अब तो ना पर्बत ना सागर
निस दिन रहे ख़यालों में तुम अब हो जाओ उजागर
अब आन मिलो सजना
अब आन मिलो सजना