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मेरे दादा के पछवाड़े आले आले बांस खड़े / हरियाणवी

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मेरे दादा के पछवाड़े आले आले बांस खड़े
समधी का लड़का नादान आंगन मोरे तप करे
अन्दर से निकली भर मोती का थाल ले
ले रे सज्जन के लड़के अंगना मोरा छोड़ दे
क्या करने तेरे मोती क्या करनी ये थालिया
तुम्हारे घर कन्या कुमारी हमें परणाय दो