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मेरे दादा जी चितर एक जस ल्यो / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरे दादा जी चितर एक जस ल्यो
एक जस ल्यो परणां क्यूनां द्यो
तेरी छोटी-सी चिडकली सुहाग भाग मांगे
हे जी काहे का लटुवा काहे की डोर
कौण फिरै इस लटुवे का चोर
हे जी सून्ने का लटुवा रेसम की डोर
समदी का बेटा इस लटुवे का चोर
मेरे ताऊ जी चितर एक जस ल्यो
एक जस ल्यो परणां क्यूनां द्यो
तेरी छोटी सी चिडकली सुहाग भाग मांगे
हे जी काहे का लटुवा काहे की डोर
कौण फिरै इस लटुवै का चोर
हे जी सून्ने का लटुवा रेसम की डोर
समदी का बेटा इस लटुवे का चोर
मेरे बाब्बू जी चितर एक जस ल्यो
तेरी छोटी सी चिडकली सुहाग भाग मांगे
हे जी काहे का लटुवा काहे की डोर
कौण फिरै इस लटुवे का चोर
हे जी सून्ने का लटुवा रेसम की डोर
समदी का बेटा इस लटुवे का चोर