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मेरे देश का नाम / नील कमल
Kavita Kosh से
यह कौन सी जगह है
अराजकता के पहाड़ पर
जहाँ
जनतंत्र के हलक़ में
आधी शताब्दी से
बनी हुई है प्यास,
तरसते हैं कान
कब बजेगा
प्यासे कण्ठ से उतरते
पानी का संगीत,
जनतंत्र से ग़ायब होते
जन का
यह कौन सा परिदृश्य है
जहाँ
दुनिया का सबसे मोटा संविधान
जूतियों के तले सिसकता है
यह कौन सी गंगा है
जिसके बेटे की पॉलिटिक्स में
अयोध्या-मथुरा-काशी हैं,
अशोक-चक्र के ऊपर चढ़ा
यह बाज़,
बाज़ के एक पंजे में फूल
बाज़ के दूसरे पंजे में तीर,
अरे ! इस बाज़ को उतारो
कोई मेरे देश का नाम तो बताओ ।