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मेरे देश का परिवार / धनराज शम्भु

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मेरे स्वर्ग जैसे देश में
ऐसे भी पिता हैं
जो चार दीवारी के पीछे
दिन-रात का समय काटते
नशा खोरी या चोरी
बलात्कारी या निर्दोष रूप में
दीवारों के पीछे उम्र बिता रहे हैं
मेरे और आपके समान
पिता मेरे देश के
चुप-दीवारों के पीछे समय काट रहे ।

मेरे स्वर्णीम देश में
बहुत माताएँ हैं
जो रात के सुनसान में
सभी के सो जाने के बाद
रास्तों की पटरी पर
डेरा-डाल कर राह जोहती
ताकि उन अविश्वासी पिताओं की
हवस की पूर्ति कर सकें
और बनावटी प्यार से मोह सकें

भंड़वों की सहायता से
ये माताएँ अपनी
वेश्यावृत्ति के लिए खड़ी हैं
जो कभी बलात का शिकार हुईं
या गर्भपात न कर पायी
क्योंकि उनको अपने प्यार पर विश्वास था
या उन को पैसे पाने की जल्दी थी
देखो खड़ी है मेरे देश की माताएँ
इन पटरियों पर ।

यहां वे कुआंरी माएँ भी हैं
जिन्होंने अपने बच्चों को
अनाथालयों में छोड़ा
कुछ ऐसे अभागे भी हैं
जिन को पीटा गया है
जिन को बेघर किया गया है
जिन के साथ बलात्कार किया गया है
जिन को कैदखाने से बाहर किया गया है
ऐसे असहाय लोग भी हैं
मेरे स्वर्ग जैसे देश के रास्तों की पटरियों पर

मेरे देश के रास्तों पर
ऐसे प्राणियों के कूड़े करकट हैं
जिन पर कोई सम्मेलन नहीं होता
कोई रंग इन को बचाता नहीं
हालांकि मेरा देश इंद्रधनुषी है
दूर किसी कोने में, गली के किनारे
पटरी पर पड़े हुओं से
मैं और तुम यही कहते
यह परिवार वर्ष है
आओ साथ मनाएँ ।