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मेरे देश की तरह / अमृता भारती
Kavita Kosh से
स्वतन्त्र हुए
देश की तरह था
वह-
उसका माथा
उसकी हँसी-
मेरे देश की तरह
दिव्य,
अविभाज्य
और
सम्पूर्ण ।