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मेरे पापा / संजीव 'शशि'
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पूरी दुनिया से हैं न्यारे।
मेरे पापा सबसे प्यारे।।
मैं हूँ उनकी गुड़िया रानी,
मैं उनकी मुस्कान।
मुझे सोचते साँझ सकारे,
मैं उनकी पहचान।
घर आते ही मुझे पुकारें।
बिटिया रानी आरे-आरे।।
कभी रूठ जाऊँ तो पापा,
गा कर मुझे मनाएँ।
जब-जब नींद नहीं आये तो,
लोरी मुझे सुनाएँ।
मुझको पापा से सुख सारे।
नहीं चाहिए चंदा-तारे।।
कोई मुझको कहे परायी,
तो गुमसुम हो जाते।
मैं भी सोचूँ दुनिया वाले,
क्यों ये रीत बनाते।
अपलक मेरी ओर निहारें।
बह निकलें असुअन के धारे।।