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मेरे पास कुछ शब्द बचे हैं / विमल कुमार

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 मेरे पास कुछ भी नहीं है
चंद खूबसूरत शब्दों के अलावा
यही मेरी कमाई है
मेरी जमा पूँजी
मेरे अनुभव
मेरे विचार
मेरा खून भी यही है
साँस भी यही है
अस्थि-मज्जा भी
इन्हीं शब्दों के सहारे
जीता आया हूँ अब तक
जिस तरह आप जीते रहे हैं
अपनी बेमुरौव्वत जिंदगी किसी बेहतर शब्द की तलाश में
इन्हीं शब्दों के कारण ही
कर पाया हूँ प्यार तुम्हें अब तक
नहीं की है तुमसे घृणा
अपमानित होने के बावजूद
अगर नहीं होते ये चंद शब्द
मेरी जिंदगी में
उखड़ चुकी होती मेरी साँस कब की
टूट गए होते सपने कब के
डूब गई होतीं लहरें न जाने कब
बुझ गया होता चाँद बहुत पहले
मर जाते मेरे सारे तारे उम्मीदों के
पर जीवित हूँ आज तक
अभी भी चल रही है मेरी साँस
पेन किलर खा कर भी जिंदा हूँ, आयरा
ये शब्द ही मेरे घर हैं
मेरे फूल मेरे बगीचे
मेरी तितलियाँ
मेरे जुगनू
मेरी आत्मा
मेरा ईमान
मेरा धर्म
मेरी इज्जत आबरू
मेरी इच्छाएँ
मेरी कामनाएँ
कल्पनाएँ और खुशबुएँ
पर वे खतरे में हैं
इन दिनों
गहरे संकट में
हो रहे है उन पर
चारों तरफ से हमले
कई शब्दों को तो मैंने मरते हुए भी देखा है
हत्या के बाद तड़पते हुए, बिलखते हुए,
पुकारते हुए दर्द भरी आवाज में किसी को
पर मैं निसहाय था
नहीं बचा पाया उन्हें आज तक चाह कर भी
कई शब्द कर दिए गए
मेरे सामने ही अपवित्र
कई के अर्थ बदल गए
तो कई हो गए अप्रासंगिक
कई इतने घिस-पिट गए
कि उनके अर्थ भी नहीं रहे
देखते-देखते कइयों ने बदल लिया
अपना चोला-दामन
पर कुछ शब्द हैं मेरे पास आज तक
नहीं बदले, नहीं बिके किसी बाजार में,
उनमें आज भी हैं सपने बाकी
उनकी निष्ठा है मेरे साथ अभी भी
वे बचे हुए है राख में अंगारे की तरह
आसमान में बादल और बिजली की तरह
पानी में मोती की तरह
मेरे पास कुछ भी नहीं है
इन शब्दों के अलावा
जिनकी उम्र अब लगातार कम होती जाती है
क्यों तुम रह सकोगी
मेरे साथ
शब्दों के इस घर में जो बरसात में चूता भी है
रुक सकोगी एक रात वहाँ जहाँ बहुत धीमी है रोशनी
जे तमाम तरह की चमक
और प्रलोभनों से दूर है
क्योंकि उसे आज भी
यकीन है मनुष्यता में
ऐसे शब्दों को बहुत
बचाए रखना बहुत जरूरी है
जिससे बचती हो पृथ्वी
विचार और दृष्टिकोण
संसार को बचाए रखने के लिए
दुनिया के किसी भी शब्दकोश में
कुछ शब्दों को बचाए रखना
बेहद जरूरी है
जो सुंदर दिखते हों
बाहर और भीतर से भी
जो लड़ते हो दिन-रात
किसी अन्याय और दमन से
और इस तरह वे अमर रहते हैं
इतिहास में सदियों तक
ओ! मेरे शब्दो
मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ
आ गई है, परीक्षा की वह घड़ी
तुम मेरे साथ रहते हो
और मैं तुम्हारे साथ रहता हूँ
कब तक