मेरे प्रवीर प्यारे प्रहरी ! / रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'
हे सीमाओं के चिर रक्षक ! हे भारत के लाडले सुअन !
हे अग्नि पुत्र ! हे वीर व्रती ! हे शंकर के तीसरे नयन !
हो अग्निवृष्टि या शीतसृष्टि अथवा बम गोलों का वर्षण,
तुम हर क्षण हो कटिबद्ध प्राणतनमनधन करने को अर्पण
तेरे चरणों में शंकर का है प्रलयनृत्य ओ विष पायी,
सांसों में लहर सुनामी है यदि आता यहाँ आततायी
उत्तुंग हिमालय की चोटी, उच्छल समुद्र की गहराई,
तेरे पौरुष से रक्षित है भारत का हर कोना भाई
आकाश सुरक्षित है अपना, तेरी तीखी ललकारों से,
वातास सुरक्षित है अपना तेरे ब ल की बौछारों से
पावन स्वतंत्रता का दुश्मन कांपता तुम्हारी बोली से,
आतंकवाद थर्राता है तेरी प्रचंडतम गोली से
आतंवादियों के हंता ! तुम न्याय नीति के रखवाले,
तुम त्यागराग बलिदानी के,तू असीम साहसवाले
तुम हो भूकम्पी लहर कि जिससे तहसनहस खल होते हैं,
तुम ज्वालामुखविस्फोट कि जिसमे शत्रु सदल जल खोते हैं
नभनदी तुम्हारे हाथों में, पाताल तुम्हारे पावों में,
सुखनींद शांति से सोता है प्रिय देश तुम्हारी छावों में
तेरे कारन सब गाँवनगर, अनुदिन विकास से झूम रहे,
निश्चिन्त दवश की सीमा में सब भारतवासी घूम रहे
तुम नहीं अकेले सीमा पर मेरे प्रवीर प्यारे प्रहरी,
तुममें समस्त भारतभू की जीवितजाग्रत निष्ठा गहरी
हर एक व्यक्ति इस भारत का तेरे संग खड़ा हमेशा है,
तू एक मात्र भारतभू की जनता का बड़ा भरोसा है
तू एकएक शिशु की थिरकन आशाआकांक्षाअभिलाषा,
भास्वर भविष्य, मानवता के उच्चादर्शों की परिभाषा
तू है जनआस्था का प्रतीक, तू शौर्यधैर्य का दीप्त अनल,
तू मातृभूमि का गुणगौरव, तू अमर कीर्ति अतिशय उज्ज्वल
ओ वीर शिवा के स्वाभिमान ! राणा प्रताप के तेज प्रबल !
ओ अमर सहादत 'विस्मिल' की ! ओ गंगोत्री के गंगाजल !!
आजाद के वीर प्रतिनिधि ! श्रीरामचन्द्र के अग्निबाण !
ओ विष्णुदेव के महाचक्र ! श्रीकृष्ण चन्द्र के ओ कृपाण !!
आबालवृद्ध इस भारत के करते तेरा शास्वत वन्दन,
ओ मातृभूमि के स्वर्णमुकुट ! तेरा हर पल है अभिनंदन
तुम डेट रहो सीमओं पर, हो नित्य पुष्ट तेरा भुजबल,
तुम ही स्वदेश की आशा हो, तुम ही स्वदेश के हो संबल
बलिपथी ! देश के निर्माता ! तुमको करता सौ बार नमन,
हे सीमाओं के संरक्षक ! हे माता के लाडले सुअन !