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मेरे बस की बात नहीं / रणजीत
Kavita Kosh से
हर साथी का साथ निभाना मेरे बस की बात नहीं है
जैसा वक्त हो वैसा गाना, मेरे बस की बात नहीं है।
दुश्मनों को तिलमिलाना तो मुझे आता है, लेकिन
सब मित्रों को खुश रख पाना, मेरे बस की बात नहीं है।
मरता आया हूँ जीवन भर मरने लायक हर शै पर मैं
लेकिन डर डर कर मर जाना, मेरे बस की बात नहीं है।
लड़ता रहा हूँ चौराहों पर, जीता भी हूँ, हारा भी पर
मन छोटा कर के घर आना, मेरे बस की बात नहीं है।
विश्व व्याप्त खूंखार व्यवस्था, सब मिल कर तोड़ें तो टूटे
बड़ा जटिल है ताना बाना, मेरे बस की बात नहीं है।