भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे बाद / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
					
										
					
					मेरे बाद
तुम्हारे पास 
क्या शेष रह जायेगा मेरा 
चंद चित्र 
काले - स्याह, जीवंत 
कविताएँ 
साधारण, 
मन को छूतीं 
कहानियाँ 
सपाट, गहरी 
कुछ पत्र 
प्रायः अनुत्तरित 
और 
बेसिर पैर की बातों का 
अंतहीन सिलसिला 
ऐसे में 
मेरा जाना 
क्या जाना होगा ? 
मेरे अस्तित्व के 
छोटे-बड़े, न जाने 
कितने ही हिस्से 
तुम्हारे पास 
रह जायेंगे
	
	