भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे बारे में हवाओं से वो कब पूछेगा / बशीर बद्र
Kavita Kosh से
मेरे बारे में हवाओं से वो कब पूछेगा
खाक जब खाक में मिल जाऐगी तब पूछेगा
घर बसाने में ये खतरा है कि घर का मालिक
रात में देर से आने का सबब पूछेगा
अपना गम सबको बताना है तमाशा करना,
हाल-ऐ- दिल उसको सुनाएँगे वो जब पूछेगा
जब बिछडना भी तो हँसते हुए जाना वरना,
हर कोई रुठ जाने का सबब पूछेगा
हमने लफजों के जहाँ दाम लगे बेच दिया,
शेर पूछेगा हमें अब न अदब पूछेगा