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मेरे मरने पे भी मातम न होंगे / सिया सचदेव
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मेरे मरने पे भी मातम न होंगे
मनाना तब ख़ुशी जब हम न होंगे
वफ़ादारी का दावा तुम न करना
दिए सदमे जो तुमने कम न होंगे
ग़लतफ़हमी यूहीं चलती रहगी
दिलों के फ़ासले भी कम न होंगे
सितमगर है वो इतना जानते है
के हम उनसे कभी बरहम न होंगे
दिलों में ग़र न पाले कोई नफ़रत
किसी घर में कभी मातम न होंगे
मिलेंगे यूं कई हमदर्द तुमको
मगर हम जैसे वो हमदम न होंगे
कोई उनका यकीन कैसे करेगा
जो अपने क़ौल पे क़ायम न होंगे
ग़मों से अब सिया घबराना कैसा
ये मेरे हौसले अब कम न होंगे