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मेरे वतन, तुझको नमन / विमल राजस्थानी
Kavita Kosh से
मेरे वतन ! तुझको नमन !!
अहले वतन ! तुमको नमन !!
शत-शत नमन!!
(1)
सिर पर बरफ का ताज है
जन्नत को तुम पर नाज है
क्या बाँकपन, अंदाज है
तुम पर निछावर है भुवन
मेरे वतन ! तुमको नमन !!
अहले वतन ! तुमको नमन !!
शत-शत नमन!!
(2)
चंदन-सी तेरी धूल है
काँटा भी तेरा फूल है
तू सभ्यता का मूल है
तू ज्ञान की पहली किरण
मेरे वतन ! तुमको नमन !!
अहले वतन ! तुमको नमन !!
शत-शत नमन!!
(2)
गंगा-जमुना गल हार हैं
झरने मधुर झंकार हैं
ऋतुएँ छहों जयकार है
सागर पखारे युग-चरन
मेरे वतन ! तुमको नमन !!
अहले वतन ! तुमको नमन !!
शत-शत नमन!!
(4)
गीता तू ही, तू कुरान है
गुरू-ग्रन्थ है, ईमान है
तू ही मेरा भगवान है
तू ही है जप-तप औ‘ हवन
मेरे वतन ! तुमको नमन !!
अहले वतन ! तुमको नमन !!
शत-शत नमन!!