भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरे सपनों का राजकुमार / अरुणा राय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे सपनों का
राजकुमार
बनना चाहता है वह
पर उसके पास
ना तो
भावनाओं को
अपनी टापों से रौंदने वाले
घोड़े हैं
ना ही
वह तलवार है
जिसे वह मेरे
जिगर के पार
उतार सके।