भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरे सपनों में आता है / ओसिप मंदेलश्ताम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे सपनों में आता है
कुबड़ा तिफ़लिस<ref>कोहकाफ़ के पहाड़ों में स्थित देश जार्जिया की राजधानी।</ref> शहर
गूँज रही है आज भी जिसमें
गायक सज़नदार<ref>पुराने समय का एक जार्जियाई गायक जो गाते हुए साज भी बजाता था।</ref> की बहर
लोगों से भरा है पुल पूरा
राजधानी कालीन-सी बिछी है
और नीचे हंगामा बरपा रही है नदी कूरा

वहाँ उस तरफ ऊपर
दुकानें सजी हैं कूरा पर
और ग्राहकों की सेवा में तत्पर
खड़े हैं लाल गालों वाले मोटे दुकानदार
शराब यहाँ मिलती है और पुलाव मज़ेदार
वे थमाते हैं आपको भरा गिलास
कर सकते हैं आप यहाँ पूरा भोग-विलास

गाढ़ी काख़ेतीन<ref> एक जार्जियाई शराब का नाम।</ref> शराब
पीनी चाहिए सिर्फ़ तहखाने में बैठकर
ठण्डक होती है वहाँ, शान्ति होती है
पीओ चाहो जितनी
मन को न कोई भ्रान्ति होती है
पर इसे आप अकेले में न पीएँ, हुजू़र
हो कोई साथ में आपके ज़रूर

और वहाँ
उस सबसे छोटी दुकान में
कोई न कोई आपको ठग लेगा
जब होंगे आप नशे के वितान में
वहाँ आप लेंगे शराब तेलीआनी<ref> एक जार्जियाई शराब का नाम।</ref>
पीने में लगेगी जो बिल्कुल पानी
तैरेगा फिर धुन्ध में तिफ़लिस
और आप तैरेंगे बोतल में इस

खाने वाला आदमी होता है बूढ़ा
और खाई जाने वाली भेड़ हमेशा जवान
यही है विलास की पहचान
प्रतिवर्ष गर्मी की ऋतु में हर शाम
यहाँ का है यह क़िस्सा आम
उड़ती है लाल शराब की बू
और सींक-कबाब की ख़ुशबू

1920
 

शब्दार्थ
<references/>