भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे सारे गीत / चन्द्रेश शेखर
Kavita Kosh से
मेरे सारे गीत तुम्हारी यादों की गहराई भर हैं
तुम मन में तब भी रहते थे
तुम मन में अब भी बसते हो
मेरे संग-संग रो लेते हो
मेरे संग तुम भी हँसते हो
अरे नहीँ ये आँसू तो कुछ जख्मों की अंगड़ाई भर हैं
कुछ सपने मैने देखे थे
कुछ सपने तुमने देखे थे
कुछ ऐसे भी सपने जो हम
दोनों ने मिलकर देखे थे
ये कविता,गजलें,मुक्तक उन सपनों की तुरपाई भर हैं