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मेरे सिर पै बंटा टोकणी / खड़ी बोली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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मेरे सिर पै बण्टा टोकणी,मेरे हाथ में लेज्जू डोल
मैं पतळी –सी कामिनी , मेरे हाथ में लेज्जू डोल
एक राहे मुसाफ़िर मिल गया
-छोरी प्यासे को दो पाणी पिलाय
मैं परदेसी दूर का।
-छोरे ना मेरी डूबै डोलची
छोरे ना मेरा निवै सरीर
मैं पतळी –सी कामिनी …
-छोरे किसके हो तुम पावहणे
छोरे किसके हो लेवणहार ,
मैं पतळी –सी कामिनी ,…
-छोरी बाप तेरे का मैं पावहणा
छोरी तेरा हूँ लेवणहार ,
मैं पतळी –सी कामिनी ,…
-छोरे अब मेरी डूबै डोलची,
अब मेरा निवै सरीर
मैं पतळी –सी कामिनी …
-छोरी अब कैसे डूबै तेरी डोलची
छोरी अब कैसे निवैं सरीर ,
तू पतली-सी कामिनी
-छोरे डुबक-डुबक डूबी डोलची
छोरे तुड़ –मुड़ निवै सरीर,
मैं पतळी –सी कामिनी …