मेरे सीस पै घड़ा घड़े पै झारी / हरियाणवी
मेरे सीस पै घड़ा घड़े पै झारी
पतली जी पाणी जाए नार सांवलड़ी
कोए काहे बटेऊ जाय कुएं पै पाहुचा
कोए बूझण लाग्या नार बात सांवलड़ी
गोरी एक घूंट पाणी पिलाय दूर का प्यासा
मेरा संग अकेला जाए पाणिडा पिला दे
मैं तो क्यूंकर पाणिडा पिलाऊं
नहर जल भारी कूएं का जल खारी रे
मेरी सास बड़ी जल्लाद खसम मेरा खूनी रे
कोए इतणी सी सुण के बात मुसाफिर जा जादू डार्या रे
मेरी नेजू के नो टूक डोल उत रह ग्या रे
तैं चाल म्हारे घरां पिलाद्यूं तनै पाणी रे
तेरी भोत करूं मिजबानी म्हारे घरां चाल रे
मैं क्यूंकर घर ने चालूं सुण मेरी बात हे
तेरी सास बड़ी जल्लाद खसम तेरा खूनी रे
तैं भर बैदे का भेस गली में आइयो रे
मैं जाय पडूँ बेमार तुरत बुलवाऊं रे
सासू उठ जलदी सी घड़ा तार सास मैं (मरी) री
मेरा उठ्या कमर मैं दरद पेट मेरा दूखै री
सुण ले सासू बात पिरान मेरे चाले री
गलियां में हांडे बैद नबज दिखलादे री
इतनी सी सुण के बात सास दौड़ी गई री
गलिआं में पोंहची जाय बैद तै बोली हे
चाल रे बैदा म्हारे घर ने तन्नै लेण नै आई रे
मेरी बहू पड़ी बेमार नबज तुम देखो रे
कोए बहू का पकड्या हाथ नबज उसनै देखी रे
मेरा मिट्या कमर का दरद सास मैं राजी री
बैदे नै देदे फीस सास मैं अच्छी री
लेके नै अपनी फीस बैद घर गया रे
बहू किस पै धोए पैर अर किस पै झुकाई तन्ने पटिआं
बहू किस पै पाड़ी मांग सुणा द्यो हे बहु बतिआं
सासू मन पै धोएै पैर दिल पै पटिआं
बहूं ज्यों कै चाल्लो चाल जमाणा खोटा
तेरा सुसर बसैं परदेस बालम तेरा छोटा